सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस

आज हम बात करेंगे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में, जो कि एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली स्थिति है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सर्वाइकल क्या है, इसके कारण, लक्षण, जांच, और इसके इलाज के विभिन्न तरीके।
यदि आप या आपके जान-पहचान के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। आइए, शुरू करते हैं।
सर्वाइकल क्या है?
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एक प्रकार की गठिया है, जो गर्दन के ऊपरी हिस्से यानी सर्वाइकल स्पाइन में होती है। इसमें हड्डियों, डिस्क्स और तंत्रिकाओं पर दबाव बनने से दर्द और असुविधा होती है। यह समस्या ज्यादातर उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन गलत जीवनशैली और बैठने के तरीकों के कारण किसी भी उम्र में हो सकती है।सर्वाइकल स्पाइन में सात कशेरुका (vertebrae) होते हैं, जो एक-दूसरे के ऊपर स्थित होते हैं और इनके बीच डिस्क्स होते हैं।
ये डिस्क्स शॉक एब्जॉर्बर का काम करती हैं और गर्दन को लचीला बनाती हैं। समय के साथ, ये डिस्क्स डीजेनेरेट हो जाती हैं, जिससे हड्डियों के बीच घर्षण बढ़ जाता है और यह दर्द का कारण बनता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
उम्र बढ़ना जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारी हड्डियां और जोड़ों की स्थिति कमजोर होती जाती है। हड्डियों की डिस्क्स में डीजेनेरेशन (विघटन) होता है,
जिससे सर्वाइकल स्पाइन में समस्या हो सकती है। उम्र के साथ, हड्डियों में मौजूद कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
गलत मुद्रा (Poor Posture)
लंबे समय तक झुककर बैठने या गलत तरीके से खड़े होने से सर्वाइकल की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जैसे कंप्यूटर या मोबाइल का
इस्तेमाल करते समय सिर को ज्यादा झुकाकर रखना। यह स्थिति आजकल के डिजिटल युग में बहुत आम हो गई है, जहां लोग घंटों कंप्यूटर या मोबाइल के सामने बैठे रहते हैं।
अनुवांशिकता (Genetics)
अगर परिवार में किसी को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है, तो आने वाली पीढ़ियों में इसके होने की संभावना ज्यादा होती है। यह देखा गया है
कि जिन परिवारों में यह समस्या आम होती है, उनमें इस बीमारी के होने का खतरा अधिक होता है।
चोट या दुर्घटना (Injury or Trauma)
गर्दन पर चोट लगने सेसर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस  की समस्या हो सकती है। एक्सीडेंट या खेल के दौरान गर्दन पर अचानक झटका लगने से भी यह
समस्या हो सकती है। कई बार, मामूली चोट भी समय के साथ गंभीर समस्या में बदल सकती है।
तनाव (Stress)
लंबे समय तक मानसिक या शारीरिक तनाव भी सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या को बढ़ा सकता है। जब तनाव होता है, तो हमारी मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं,
जिससे गर्दन पर दबाव बढ़ता है। तनाव के कारण मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जो दर्द का कारण बनता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। यहां हम कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बात करेंगे:
गर्दन में दर्द (Neck Pain)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का सबसे आम लक्षण गर्दन के ऊपरी हिस्से में दर्द होना है। यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर हो सकता है, और सिर घुमाने पर बढ़ जाता है। दर्द की तीव्रता समय और गतिविधियों के अनुसार बदल सकती है।
सिर दर्द (Headache)
गर्दन से शुरू होकर सिर के पिछले हिस्से में दर्द महसूस होना। यह सर्वाइकल से जुड़े नर्व्स के दबाव के कारण होता है। सिर दर्द अक्सर गर्दन के दर्द के साथ होता है और इसे “सर्वाइकोजेनिक हेडेक” कहा जाता है।
हाथों और पैरों में सुन्नता (Numbness in Hands and Feet)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुन्नता महसूस हो सकती है। यह नर्व्स के दबाव के कारण होता है। सुन्नता के कारण हाथों और पैरों में कमजोरी भी हो सकती है।
मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Weakness)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से मांसपेशियों में कमजोरी या जकड़न महसूस हो सकती है, खासकर कंधों और हाथों में। मांसपेशियों की कमजोरी के कारण दैनिक गतिविधियों में कठिनाई हो सकती है।
संतुलन की समस्या (Loss of Balance)
कभी-कभी गंभीर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मामलों में, रोगी को चलने-फिरने में संतुलन बनाने में दिक्कत हो सकती है। संतुलन की समस्या के कारण गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

सर्वाइकल के लक्षण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की जांच (Diagnosis)

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की सही तरीके से पहचान करना महत्वपूर्ण है ताकि इलाज सही समय पर शुरू हो सके। इसकी जांच के लिए निम्नलिखित विधियां उपयोग की जाती हैं:
फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical Examination)
डॉक्टर आपके गर्दन की मूवमेंट, रिफ्लेक्स और मांसपेशियों की ताकत की जांच करते हैं। इसके अलावा, यह भी देखा जाता है कि कहीं दर्द या कमजोरी तो नहीं है। फिजिकल एग्जामिनेशन में डॉक्टर आपके गर्दन के विभिन्न हिस्सों को छूकर देखते हैं और विभिन्न आंदोलनों के दौरान दर्द और असुविधा की जांच करते हैं।
एक्स-रे (X-ray)
एक्स-रे से सर्वाइकल स्पाइन में हड्डियों की स्थिति का पता लगाया जाता है और यह देखा जाता है कि कहीं डिस्क्स या हड्डियों में कोई नुकसान तो नहीं है।
एक्स-रे हड्डियों के अंदर की स्थिति को दिखाता है और हड्डियों के बीच के गैप को भी मापता है।
MRI (Magnetic Resonance Imaging)
MRI से नर्व्स, मांसपेशियों और हड्डियों की स्थिति को और अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह तकनीक ज्यादा जानकारी देती है कि सर्वाइकल स्पाइन में कहां दबाव बन रहा है। MRI से नर्व्स और सॉफ्ट टिशूज की स्थिति का स्पष्ट चित्रण मिलता है।
CT स्कैन (CT Scan)
CT स्कैन भी एक्स-रे की तरह काम करता है लेकिन इसमें अधिक विस्तृत जानकारी मिलती है। यह नर्व्स और हड्डियों की स्थिति को दिखाने के लिए उपयोगी होता है।
CT स्कैन से हड्डियों के अंदर की संरचना का विस्तृत चित्रण मिलता है।
EMG (Electromyography)
EMG द्वारा नर्व्स और मांसपेशियों की विद्युत गतिविधियों को मापा जाता है, जिससे नर्व्स के दबाव का पता चल सकता है। EMG से नर्व्स के कार्य की स्थिति का पता चलता है और मांसपेशियों की गतिविधियों को मापा जा सकता है

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज (Treatment)

सर्वाइकल के इलाज के कई तरीके हो सकते हैं, जो रोग की गंभीरता और लक्षणों पर निर्भर करते हैं। यहां हम सर्वाइकल के इलाज के विभिन्न विकल्पों के बारे में बात करेंगे:
दवाइयां (Medications)
पेन किलर (Pain Relievers): दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर पेन किलर दवाइयां लिख सकते हैं। यह दवाइयां अस्थायी आराम देती हैं।
एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां (Anti-inflammatory Drugs): सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर NSAIDs जैसी दवाइयां लिख सकते हैं।
मसल रीलैक्सेंट्स (Muscle Relaxants): मांसपेशियों की जकड़न को कम करने के लिए मसल रीलैक्सेंट्स दी जाती हैं।
फिजियोथेरपी (Physiotherapy)
फिजियोथेरपी सर्वाइकल के इलाज में बहुत प्रभावी होती है। इसमें गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज कराई जाती हैं। इसके अलावा, हल्की स्ट्रेचिंग से गर्दन की जकड़न को कम किया जाता है। फिजियोथेरपी से न केवल दर्द कम होता है बल्कि गर्दन की लचीलापन भी बढ़ती है।
गर्म और ठंडे पैक (Heat and Cold Therapy)
दर्द और सूजन को कम करने के लिए गर्म और ठंडे पैक का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मांसपेशियों की थकान को कम करता है और आराम प्रदान करता है। गर्म पैक से मांसपेशियों को आराम मिलता है जबकि ठंडे पैक से सूजन कम होती है।
मालिश और एक्यूपंक्चर (Massage and Acupuncture)
मालिश और एक्यूपंक्चर से भी सर्वाइकल के दर्द को कम किया जा सकता है। यह मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है और नर्व्स के दबाव को कम करता है।
मालिश से रक्त संचार बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और दर्द में राहत मिलती है। एक्यूपंक्चर में निडल्स का उपयोग किया जाता है जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और दर्द को कम करता है।
जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)
सर्वाइकल के दर्द को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है। सही तरीके से बैठना, सोना और काम करना सीखना जरूरी है। इसके अलावा, नियमित रूप से व्यायाम करना और तनाव को कम करना भी आवश्यक है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न केवल सर्वाइकल का दर्द कम होता है बल्कि इसकी पुनरावृत्ति की संभावना भी कम हो जाती है।
सर्जरी (Surgery)
जब अन्य इलाज के तरीके असफल हो जाते हैं और दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसमें प्रभावित डिस्क्स को हटाया जाता है और हड्डियों को स्थिर किया जाता है। सर्जरी का निर्णय डॉक्टर आपके स्वास्थ्य स्थिति और समस्या की गंभीरता के आधार पर लेते हैं।

निष्कर्ष

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एक आम समस्या है, जो उम्र, गलत जीवनशैली, और अन्य कारणों से हो सकती है। इसके लक्षणों को पहचानना और समय पर सही इलाज करवाना बहुत जरूरी है। सही समय पर जांच और इलाज से दर्द को कम किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
इस लेख में हमने सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और उचित जांच और इलाज करवाएं। इसके अलावा, सही जीवनशैली अपनाकर और नियमित व्यायाम करके इस समस्या से बचा जा सकता है।
अपनी सेहत का ख्याल रखें और स्वस्थ जीवन जिएं!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *