Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग

Cardiovascular Diseases

आज हम एक बहुत ही गंभीर और जानलेवा बीमारी के बारे में बात करेंगे जो है “Cardiovascular Diseases” यानी हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग(सीवीडी)। जिनमें मुख्य रूप से हार्ट अटैक और स्ट्रोक शामिल हैं। इन बीमारियों को जानना और समझना बहुत जरूरी है क्योंकि ये पूरी दुनिया में मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनती जा रही हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।

  1. Cardiovascular Diseases (CVD) क्या हैं? Cardiovascular diseases हृदय और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है। इसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, और एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी बीमारियाँ आती हैं। इनमें हार्ट अटैक तब होता है जब दिल को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति में रुकावट आती है, जबकि स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।
  2. Cardiovascular Diseases/हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण: Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
    यह हृदय और रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
    कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना: हाई LDL (Low-Density Lipoprotein) कोलेस्ट्रॉल आपकी धमनियों में प्लाक जमा कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह रुक जाता है।
    धूम्रपान और तंबाकू का सेवन: तंबाकू रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और रक्तचाप को बढ़ाता है।
    मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता: अधिक वजन और शारीरिक रूप से निष्क्रिय जीवनशैली हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती है।
    डायबिटीज: उच्च रक्त शर्करा हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है।
    अनुवांशिक कारण: अगर आपके परिवार में किसी को हृदय रोग हुआ है, तो Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग का जोखिम भी बढ़ सकता है।
  3. Cardiovascular Diseases के लक्षण:
    हार्ट अटैक के लक्षण:
    छाती में गंभीर दर्द या असुविधा, जो बाएँ हाथ, जबड़े, गर्दन, या पीठ तक फैल सकता है।
    सांस लेने में तकलीफ।
    पसीना आना, मितली और उल्टी।
    थकान और चक्कर आना।
    स्ट्रोक के लक्षण:
    शरीर के एक हिस्से में अचानक कमजोरी या सुन्नता, खासकर चेहरे, हाथ या पैर में।
    बोलने में कठिनाई या समझने में परेशानी।
    अचानक दृष्टि धुंधलाना या अंधापन।
    चक्कर आना, संतुलन में कमी।
    अचानक और तेज सिरदर्द।
  4. Cardiovascular Diseases की जांच और निदान: Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग की जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं:
    ईसीजी (Electrocardiogram): यह दिल की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करता है और अनियमितताओं का पता लगाता है।
    इकोकार्डियोग्राम: दिल की संरचना और उसकी कार्यक्षमता को जांचने के लिए यह अल्ट्रासाउंड आधारित टेस्ट होता है।
    ब्लड टेस्ट: कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की जांच के लिए।
    एनजियोग्राफी: धमनियों में ब्लॉकेज की जांच के लिए।
    MRI और CT स्कैन: स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क की विस्तृत छवियां प्राप्त करने के लिए।
    ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग: उच्च रक्तचाप का पता लगाने के लिए।
  5. Cardiovascular Diseases का इलाज:
    हार्ट अटैक का इलाज:
    एंजियोप्लास्टी और स्टेंट: धमनियों में ब्लॉकेज को खोलने के लिए।
    बाईपास सर्जरी: ब्लॉकेज को बायपास करके नए रक्त प्रवाह का मार्ग बनाना।
    दवाइयाँ: रक्त को पतला करने के लिए एस्पिरिन, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए स्टेटिन, और ब्लड प्रेशर कम करने के लिए बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाएं।
    लाइफस्टाइल में बदलाव: धूम्रपान छोड़ना, स्वस्थ आहार लेना, और नियमित व्यायाम करना।
    स्ट्रोक का इलाज:
    थ्रोम्बोलिसिस: स्ट्रोक के शुरुआती घंटों में रक्त के थक्के को घोलने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है।
    सर्जरी: मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को पुनः स्थापित करने के लिए।
    रीहैबिलिटेशन: शारीरिक, भाषायी और मानसिक क्षमताओं को पुनः प्राप्त करने के लिए।
  6. Cardiovascular Diseases रोकथाम:
    Cardiovascular diseases को रोका जा सकता है अगर हम निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
    स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, और अनाज का सेवन और संतृप्त वसा, नमक और चीनी का कम इस्तेमाल।
    नियमित व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें।
    धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहें: तंबाकू से हृदय पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है।
    वजन नियंत्रित रखें: एक स्वस्थ वजन बनाए रखने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
    नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
  7. कन्क्लूजन: Cardiovascular diseases जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक गंभीर लेकिन रोके जाने योग्य बीमारियां हैं। सही जीवनशैली और समय पर चिकित्सा की मदद से हम Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग से बच सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आपको किसी भी प्रकार का लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर इलाज से जीवन बचाया जा सकता है।

Cardiovascular Diseases में उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित कैसे करें
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और मधुमेह को नियंत्रित करना जरूरी है क्योंकि ये दोनों बीमारियाँ Cardiovascular Diseases(CVD)/हृदय और रक्तवाहिनी संबंधी रोग, किडनी की समस्या और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं। यहाँ कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जिनकी मदद से आप इन दोनों स्थितियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं:
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) को नियंत्रित करने के उपाय:


नमक का सेवन कम करें: ज्यादा नमक का सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। रोजाना 5 ग्राम (लगभग 1 छोटा चम्मच) से ज्यादा नमक न लें। प्रोसेस्ड फूड और पैकेज्ड स्नैक्स से भी बचें, क्योंकि उनमें नमक की मात्रा ज्यादा होती है।
नियमित व्यायाम करें: नियमित शारीरिक गतिविधियाँ जैसे पैदल चलना, दौड़ना, तैरना या योग करना आपके ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट का मध्यम व्यायाम करें।
स्वस्थ आहार लें: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से भरपूर आहार लें। वसा और तला-भुना भोजन कम करें और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे मछली, का सेवन बढ़ाएं।
धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीना ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। इनसे दूरी बनाए रखें।
तनाव कम करें: तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, प्राणायाम और गहरी सांस लेने के व्यायाम करें। अच्छी नींद लें और मानसिक शांति के लिए समय निकालें।
नियमित जाँच करें: नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जाँच कराएं। यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाइयाँ लें और उनकी डोज को फॉलो करें।
मधुमेह (Diabetes) को नियंत्रित करने के उपाय:
स्वस्थ और संतुलित आहार: शुगर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार से बचें। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, दालें, सब्जियाँ, और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें। चीनी और मीठे पेय पदार्थों से बचें।
वजन नियंत्रित रखें: वजन बढ़ना इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकता है, जो मधुमेह को और बिगाड़ सकता है। इसलिए, वजन को नियंत्रण में रखने के लिए कैलोरी और वसा के सेवन पर ध्यान दें।
नियमित शारीरिक गतिविधि: व्यायाम ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे चलना, दौड़ना, या साइकिल चलाना, ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है।
हाइड्रेशन: पानी ज्यादा पिएं। शुगर युक्त पेय पदार्थों से बचें, जैसे सोडा या जूस, क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती है।
ब्लड शुगर की नियमित जाँच: अपने ब्लड शुगर का नियमित रूप से परीक्षण करें, खासकर भोजन के बाद और खाली पेट। इससे आपको पता चलेगा कि आपका ब्लड शुगर कितना नियंत्रित है।
दवाइयों का सही उपयोग: अगर आपका डॉक्टर आपको इंसुलिन या अन्य दवाइयाँ लेने की सलाह देता है, तो उन्हें नियमित रूप से लें। दवाइयों की डोज को न बदलें और समय पर लें।
तनाव कम करें: तनाव ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है। नियमित ध्यान और योग के अभ्यास से तनाव को कम करें।
निष्कर्ष:
उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना सबसे महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार, और डॉक्टर की सलाह का पालन करना इन दोनों बीमारियों के प्रभाव को कम कर सकता है। दोनों स्थितियों में नियमित जांच कराना और आवश्यक दवाइयों का सही तरीके से उपयोग करना बहुत जरूरी है।

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